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मंदिर का निर्माण और इतिहास – Taranga Tirth History

राजा कुमारपाल ने जैन धर्म स्वीकार किया था और सन् 1159 ईस्वी (संवत 1216) में श्री अजितनाथ भगवान के मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। यह मंदिर संभवतः संवत 1216 से 1230 के बीच बनकर तैयार हुआ।  तारंगा तीर्थ का उल्लेख कई प्राचीन शिलालेखों और ग्रंथों में मिलता है। संवत 1285 (1229 ईस्वी) में मंत्रीश्री वस्तुपाल

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Taranga Tirth History तारंगा जैन तीर्थ

Taranga Tirth History: तारंगा तीर्थ गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। इस तीर्थ का महत्व न केवल जैन समुदाय के लिए है, बल्कि यह भारतीय इतिहास, वास्तुकला, और लोकगाथाओं का एक अद्वितीय केंद्र भी है।  यात्रा और तीर्थयात्रा

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गजेन्द्रपूर्ण प्रासाद का निर्माण

पूज्य आचार्य देव श्रीमद् विजयउदयसूरीश्वरजी महाराज के आदेशानुसार तथा भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्रसिद्ध शिल्पी श्रीयुत प्रभाशंकर ओधवजी के कुशल नेतृत्व में श्री संघ ने ‘गजेन्द्रपूर्ण प्रासाद’ के निर्माण का निर्णय लिया। इसके लिए विक्रम संवत 2009 की वैशाख सूद 10 को आधारशिला रखी गई। इसके बाद श्री संघ ने मंदिर निर्माण का कार्य

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श्री चंद्रप्रभस्वामी जैन देरासर प्रभास पाटन

दोस्तों, प्रणाम! आज हम बात करेंगे श्री चंद्रप्रभस्वामी जैन देरासर, प्रभास पाटन की; इस तीर्थ के भव्य इतिहास की। श्री चंद्रप्रभासपाटन महातीर्थ: एक प्राचीन जैन तीर्थ, जहाँ इतिहास, आस्था और दिव्यता का संगम होता है। जानिए इस पवित्र स्थल का गौरवशाली इतिहास, चमत्कारी घटनाएं और भव्य मंदिरों की अद्भुत कहानी। चंद्रप्रभास पाटण को इतिहास में

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