अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु स्वामी

‘भद्रबाहु चरित्र‘ एक महत्वपूर्ण पौराणिक ग्रंथ है, जिसकी रचना आचार्य श्री रत्ननंदी अथवा रत्नकीर्ति ने की थी। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत उपयोगी है, क्योंकि इसमें प्राचीन भारतीय परंपरा, गुरु-शिष्य परंपरा, जैन इतिहास तथा सम्प्रदायों के विकास का विश्लेषण मिलता है। यद्यपि रत्ननंदीजी भद्रबाहु स्वामी से सैकड़ों वर्षों बाद […]

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