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अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु स्वामी

‘भद्रबाहु चरित्र‘ एक महत्वपूर्ण पौराणिक ग्रंथ है, जिसकी रचना आचार्य श्री रत्ननंदी अथवा रत्नकीर्ति ने की थी। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत उपयोगी है, क्योंकि...

तारंगा का ऐतिहासिक महत्व

मंदिर के मंडोवर और शिखर चावल की भूसी से भरे हैं। इसके गुम्बदों और स्तंभों पर यक्ष, गंधर्व और नर्तकों की मूर्तियों का शिल्प भी देखने लायक है। हालांकि, यह मंदिर आबू के मंदिरों की तरह अत्यंत बारीक नहीं...

मंदिर का निर्माण और इतिहास – Taranga Tirth History

राजा कुमारपाल ने जैन धर्म स्वीकार किया था और सन् 1159 ईस्वी (संवत 1216) में श्री अजितनाथ भगवान के मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। यह मंदिर संभवतः संवत 1216 से 1230 के बीच बनकर तैयार हुआ।  तारंगा तीर्थ का...

Taranga Tirth History तारंगा जैन तीर्थ

Taranga Tirth History: तारंगा तीर्थ गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। इस तीर्थ का महत्व न केवल जैन...

विक्रम संवत 2008 महासुदि 6 के मंगल दिन इस जिनालय की प्रतिष्ठा हुई

17वीं शताब्दी में पूज्य आचार्य श्री विजयहिरसूरीजी महाराज अपने शिष्यों सहित इस पावन तीर्थ की यात्रा पर पधारे। विक्रम संवत 1666 में, उनके पट्टधर आचार्य श्री विजयसेनसूरीजी के पावन हस्तों से पोष सुदि 6 से...

गजेन्द्रपूर्ण प्रासाद का निर्माण

पूज्य आचार्य देव श्रीमद् विजयउदयसूरीश्वरजी महाराज के आदेशानुसार तथा भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्रसिद्ध शिल्पी श्रीयुत प्रभाशंकर ओधवजी के कुशल नेतृत्व में श्री संघ ने ‘गजेन्द्रपूर्ण प्रासाद’ के...

श्री चंद्रप्रभस्वामी जैन देरासर प्रभास पाटन

दोस्तों, प्रणाम! आज हम बात करेंगे श्री चंद्रप्रभस्वामी जैन देरासर, प्रभास पाटन की; इस तीर्थ के भव्य इतिहास की। श्री चंद्रप्रभासपाटन महातीर्थ: एक प्राचीन जैन तीर्थ, जहाँ इतिहास, आस्था और दिव्यता का...