गजेन्द्रपूर्ण प्रासाद का निर्माण

पूज्य आचार्य देव श्रीमद् विजयउदयसूरीश्वरजी महाराज के आदेशानुसार तथा भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्रसिद्ध शिल्पी श्रीयुत प्रभाशंकर ओधवजी के कुशल नेतृत्व में श्री संघ ने ‘गजेन्द्रपूर्ण प्रासाद’ के निर्माण का निर्णय लिया। इसके लिए विक्रम संवत 2009 की वैशाख सूद 10 को आधारशिला रखी गई। इसके बाद श्री संघ ने मंदिर निर्माण का कार्य पूरे उत्साह के साथ प्रारंभ किया। रोज़ सैकड़ों कारीगर इस कार्य में संलग्न होते थे, जिसके परिणामस्वरूप तीन शिखरों, चार गुंबदों और तीन मंज़िला वाला एक भव्य मंदिर दो साल में निर्मित हुआ।

इसी अवधि में सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य भी तेजी से प्रगति पर था। 11 मई 1951 को सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन हुआ और इसके ठीक 9 महिने बाद 9 गाभारा वाले पूरे भारत में एक मात्र इस विशाल जैन मंदिर कि भी यहाँ प्रतिष्ठा हुई।

ऐसे अनोखे और अलौकिक जैन मंदिर के निर्माण पर 11 लाख से ज्यादा खर्च हुआ था।

9 गर्भगृह (गभारे) वाला भारत में एक मात्र जिनालय

मंदिर में नौ मूलनायक भगवान विराजमान हैं:

  • मूलनायक श्री चंद्रप्रभस्वामीजी
  • श्री शीतलनाथ
  • श्री सुविधिनाथ
  • श्री संभवनाथ
  • श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ
  • श्री मल्लिनाथजी
  • श्री चंद्रप्रभस्वामी
  • श्री दादा-दोकड़िया पार्श्वनाथजी
  • श्री आदिश्वरजी

विशेष रूप से, श्री दादा पार्श्वनाथजी की प्रतिमा अत्यंत प्राचीन और प्रभावशाली मानी जाती है। कुछ वर्षों पूर्व, दीवानशाही दोकड़िया की मुद्रा (पैसा) इस भगवान की पलंथी (પલાંઠી) में से निकलती हुई देखी गई थी। आज भी एक डोकड़िया का सिक्का भगवान की पलंथी में चिपका हुआ स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जो इस प्रतिमा की अद्भुत दिव्यता और प्रभावशाली इतिहास को दर्शाता है।

इस प्रकार, मंदिर के नौ गृभगृहों (गभारे) में नौ मूलनायक भगवान विराजमान हैं, और इनके चारों ओर विभिन्न अन्य जिन प्रतिमाएँ प्रतिष्ठित हैं।

मंदिर के ऊपरी तल पर कुल पाँच गृभगृह हैं। इनमें मध्य स्थित गृभगृह में मूल भगवान श्री शांतिनाथजी विराजमान हैं। उनके चारों ओर श्री शांतिनाथजी और श्री श्रेयांसनाथजी प्रतिष्ठित हैं। शिखरों की दाहिनी ओर स्थित गृभगृह में श्री अजितनाथ भगवान विराजमान हैं, जो 170 विहरमान जिनों के परिकरयुक्त हैं। प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान, पूज्य आचार्यदेवश्री के पावन हस्तों से श्री अजितनाथ भगवान की प्रतिमा का अंजनशलाका विधिवत् बड़े धूमधाम से संपन्न हुआ।

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